राजनी
- मन्नू भंडारी | कक्षा 11 हिंदी आरोह
पाठ का सारांश
यह पटकथा सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा रचित है और 1980 के दशक के चर्चित टेलीविज़न धारावाहिक 'रजनी' की एक कड़ी का अंश है। इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा का व्यवसायीकरण और ट्यूशन के नाम पर शिक्षकों द्वारा चलाया जा रहा घिनौना रैकेट है।
कहानी का क्रमवार सारांश:
1. समस्या की शुरुआत:
कहानी की शुरुआत रजनी के अपनी सहेली लीला के घर जाने से होती है, जिसका बेटा अमित, एक होशियार छात्र, गणित में कम नंबर (72 अंक) लेकर आता है, जबकि अर्ध-वार्षिक परीक्षा में उसके 96 अंक थे। अमित रोते हुए बताता है कि उसके शिक्षक मिस्टर पाठक ने ट्यूशन न लेने पर उसका परिणाम खराब करने की धमकी दी थी और ऐसा ही हुआ। रजनी इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करती और इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ मानती है।
2. हेडमास्टर से मुलाकात:
रजनी सबसे पहले स्कूल के हेडमास्टर से मिलती है और अमित की उत्तर पुस्तिका दिखाने की मांग करती है, ताकि पता चल सके कि नंबर किस बात के काटे गए हैं। हेडमास्टर कॉपियां दिखाने से इनकार कर देते हैं और इसे 'स्कूल का नियम' बताते हैं। रजनी उन पर शिक्षकों की बदमाशी पर पर्दा डालने का आरोप लगाती है।
3. शिक्षा निदेशक से मुलाकात:
इसके बाद वह शिक्षा निदेशक (डायरेक्टर ऑफ़ एजुकेशन) के पास जाती है। निदेशक इस समस्या को 'शिक्षकों और छात्रों का आपसी मामला' कहकर टाल देते हैं और कहते हैं कि ट्यूशन लेना कोई मजबूरी नहीं है। रजनी निदेशक को बताती है कि यह लूटने का धंधा है और बोर्ड को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए, लेकिन निदेशक यह कहकर टाल देते हैं कि उनके पास कोई लिखित शिकायत नहीं आई है।
4. सामाजिक आंदोलन की शुरुआत:
अधिकारियों से निराश होने के बाद, रजनी इस निजी समस्या को एक सामाजिक आंदोलन (आन्दोलन) का रूप देने का निश्चय करती है। वह एक अखबार के संपादक से मिलती है और उनसे सहयोग मांगती है। संपादक रजनी के विचारों का समर्थन करते हैं और आश्वासन देते हैं कि उनका अखबार इस समस्या पर लगातार लिखकर इसे 'सबकी बात' बना देगा। अखबार के सहयोग से रजनी 25 तारीख को अभिभावकों की एक बड़ी मीटिंग आयोजित करने की सूचना प्रकाशित करवाती है।
5. अभिभावकों की मीटिंग:
पेरेंट्स की मीटिंग में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, जिससे विरोध का माहौल बन जाता है। रजनी मंच से ट्यूशन के नाम पर होने वाले अन्याय के खिलाफ अपनी बात रखती है। वह शिक्षकों की कम तनख्वाह की समस्या को भी उठाती है और उनसे भी अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने का आग्रह करती है।
6. प्रस्ताव की स्वीकृति:
अंत में, रजनी बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव रखती है कि कोई भी शिक्षक अपने ही स्कूल के छात्रों को ट्यूशन नहीं देगा, और नियम तोड़ने वाले पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट और 'अप्रूव्ड' (स्वीकृत) की आवाज़ों से गूंज उठता है।
7. सफलता:
अगले दिन, अखबार में यह खबर छपती है कि बोर्ड ने रजनी का प्रस्ताव ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लिया है और यह नियम बन गया है। इस सफलता से रजनी बहुत प्रसन्न होती है और कहती है कि अगर डटकर मुकाबला किया जाए, तो कोई भी अन्याय नहीं टिक सकता।
मुख्य पात्र और विशेषताएँ:
- रजनी: जुझारू, इंसाफ पसंद, साहसी, समाज सुधारक
- अमित: होशियार छात्र, ट्यूशन न लेने के कारण प्रताड़ित
- मिस्टर पाठक: शिक्षक जो ट्यूशन का रैकेट चला रहे हैं
- हेडमास्टर: निष्क्रिय प्रशासक, समस्या को अनदेखा करते हैं
- शिक्षा निदेशक: उदासीन अधिकारी
- अखबार संपादक: सामाजिक मुद्दों के प्रति सजग
कहानी के प्रमुख संदेश:
- शिक्षा का व्यवसायीकरण समाज के लिए हानिकारक है
- अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना हर नागरिक का कर्तव्य है
- सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़े अन्याय को हराया जा सकता है
- मीडिया सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
- शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे शिक्षा को व्यापार न बनाएँ
पाठ के साथ
प्रश्न 1: रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि—
क- वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।
ख- अमित उसकी मित्र लीला का बेटा था।
ग- वह अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
घ- उसे अखबार की सुर्खियों में आने का शौक़ था।
उत्तर-
ग- वह अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
(पुस्तक में पृष्ठ 86 पर 'पाठ के साथ' अनुभाग)
प्रश्न 2: जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ--- यह कोई मज़बूरी तो है नहीं— प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या ग़लत लगता है, तर्क दीजिये।
उत्तर-
क. प्रसंग का उल्लेख
यह संवाद शिक्षा निदेशक (डायरेक्टर ऑफ़ एजुकेशन) द्वारा रजनी से उस समय कहा गया था जब रजनी ने उन्हें प्राइवेट ट्यूशन के नाम पर शिक्षकों द्वारा चलाए जा रहे धंधे (रैकेट) की शिकायत की थी। निदेशक ट्यूशन को एक सामान्य स्वैच्छिक प्रक्रिया मान रहे थे।
ख. संवाद की सत्यता/असत्यता पर तर्क
यह संवाद पूरी तरह से गलत है। पुस्तक में दिखाया गया है कि यह मजबूरी नहीं, बल्कि अन्यायपूर्ण जबरदस्ती है। अमित जैसा मेधावी छात्र, जिसके हाफ़-ईयरली में 96 नंबर आए थे, उसे भी लगातार ट्यूशन लेने के लिए कोचने (दबाव बनाने) का काम किया जा रहा था। ट्यूशन न लेने पर अमित को पूरे पेपर में केवल 72 नंबर मिले। इससे सिद्ध होता है कि शिक्षक ट्यूशन को लूटने का धंधा (एक घिनौना रैकेट) बना चुके थे, जहाँ छात्र की कमज़ोरी नहीं, बल्कि शिक्षक का निर्देश सर्वोपरि था। यहाँ ट्यूशन न लेने का विकल्प मौजूद नहीं था, क्योंकि इसका सीधा परिणाम कम नंबर मिलना और भविष्य खराब होना था।
(पुस्तक में पृष्ठ 80, 81 पर संवाद)
प्रश्न 3: तो एक और आन्दोलन का मसाला मिल गया— फुसफुसाकर कही गई यह बात—
क. किसने किस प्रसंग में कही
यह बात रजनी के पति रवि ने फुसफुसाकर कही थी। यह प्रसंग पेरेंट्स की मीटिंग के दौरान का है, जहाँ रजनी मंच से भाषण दे रही थी। रजनी ने प्राइवेट स्कूल के उन शिक्षकों के लिए भी आवाज़ उठाई, जिन्हें कम तनख्वाह मिलती है और उन्होंने शिक्षकों से अन्याय का पर्दाफाश करने के लिए संगठित होकर आंदोलन चलाने का अनुरोध किया था। रजनी के इस अनुरोध पर रवि ने व्यंग्य किया।
ख. इससे कहने वाले की किस मानसिकता का पता चलता है
इससे रवि की उदासीन, हताश और व्यंग्यपूर्ण मानसिकता का पता चलता है। वह सामाजिक सरोकारों को गंभीरता से नहीं लेता, बल्कि आंदोलनों को मात्र एक "मसाला" मानता है। यह उसकी यह सोच दर्शाती है कि समाज में सुधार लाने का प्रयास करना व्यर्थ है, जैसा कि वह रजनी से भी कहता है कि "तुम जैसे लोगों के कारण ही तो इस देश में कुछ नहीं होता, हो भी नहीं सकता!"।
(पुस्तक में पृष्ठ 84 पर संवाद)
प्रश्न 4: रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर—
उत्तर-
मुख्य समस्या
रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा का व्यवसायीकरण (दुकानदारी) है। इसके अंतर्गत शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन को एक घिनौना रैकेट बनाकर चला रहे हैं और ट्यूशन न लेने वाले छात्रों पर ज़ोर-ज़बरदस्ती करके उनका शोषण कर रहे हैं।
क. अगर अमित का पर्चा सचमुच ख़राब होता
अगर अमित का पर्चा सचमुच खराब होता, तो रजनी के पास शिक्षक की बदमाशी (अन्याय) सिद्ध करने का कोई ठोस प्रमाण नहीं होता। ऐसी स्थिति में, हेडमास्टर और शिक्षा निदेशक दोनों ही यह कहकर मामले को टाल देते कि छात्र कमज़ोर था और ट्यूशन न लेना उसका निजी निर्णय था। इस प्रकार, रजनी का विरोध एक व्यक्तिगत शिकायत बनकर रह जाता और व्यापक आंदोलन सफल नहीं हो पाता।
ख. अगर संपादक रजनी का साथ न देता
अगर संपादक रजनी का साथ न देता, तो रजनी का आंदोलन सीमित रह जाता। रजनी ने व्यक्तिगत तौर पर केवल सौ-सवा सौ लोगों से ही संपर्क किया था। संपादक ने अखबार में विस्तृत 'राइट-अप' तैयार करके और पेरेंट्स मीटिंग की सूचना पी.टी.आई. के माध्यम से 'फ़्लैश' करवाकर इस मुद्दे को 'सबकी बात' बनाया। संपादक का साथ न मिलने पर बोर्ड पर इतना दबाव नहीं बन पाता कि वह ट्यूशन के खिलाफ नियम (टीचर अपने ही स्कूल के छात्रों को ट्यूशन नहीं देगा) बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले।
(पुस्तक में पृष्ठ 82, 83 पर संवाद)
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1: गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता— इस संवाद के संदर्भ में आप सबसे ज़्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?
उत्तर-
इस संवाद के संदर्भ में, रजनी सबसे ज़्यादा गुनहगार उस व्यक्ति को मानती है जो चारों तरफ अन्याय, अत्याचार और तरह-तरह की धाँधलियों को देखकर भी चुप बैठा रहता है।
रजनी की दृष्टि में, अन्याय को चुपचाप सहन करने वाला सबसे बड़ा गुनहगार है क्योंकि:
क. वे अन्याय को बढ़ावा देते हैं: जो लोग अन्याय को बर्दाश्त करते हैं (जैसे लीला बहन और रवि), वे अनजाने में उस अन्याय को जारी रखने में सहायता करते हैं।
ख. वे देश की प्रगति में बाधक हैं: रजनी के अनुसार, रवि जैसे लोग (जो कहते हैं, "हमें क्या करना है, हमने कोई ठेका ले रखा है दुनिया का") ही देश में कुछ न होने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
ग. निष्क्रियता ही मूल समस्या है: यदि चुप रहने वाले लोग संगठित होकर विरोध करें, तो अन्याय की धज्जियाँ बिखेरी जा सकती हैं। इसलिए, गलती करने वाले शिक्षक से भी बड़ा दोषी उसे सहन करने वाला निष्क्रिय समाज है।
(पुस्तक में पृष्ठ 78 पर संवाद)
प्रश्न 2: स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है?
उत्तर-
स्त्री के चरित्र की बनी बनाई सामाजिक धारणा यह है कि उसे घर-परिवार तक सीमित रहना चाहिए, चुपचाप अन्याय सहना चाहिए और सार्वजनिक मामलों से दूर रहना चाहिए। रजनी का चरित्र निम्नलिखित मायनों में इस धारणा से पूरी तरह अलग है:
क. जूझारू और इंसाफ पसंद: रजनी हर हाल में न्याय और इंसाफ के लिए संघर्ष करती है। वह अपने निजी जीवन से बाहर निकलकर ट्यूशन जैसे व्यावसायिक सामाजिक समस्या को चुनती है और उसके खिलाफ आंदोलन (संघर्ष) चलाती है।
ख. आक्रामक नेतृत्व: वह अन्याय को देखकर चुप नहीं बैठती। वह उच्च अधिकारियों (हेडमास्टर और शिक्षा निदेशक) से सीधी बहस करती है, उनकी निष्क्रियता पर सवाल उठाती है और उन्हें उनकी कुर्सी छोड़ने तक के लिए कहती है, जो एक पारंपरिक स्त्री नहीं करती।
ग. गैर-पारंपरिक भूमिका: वह अपने पति रवि के निष्क्रिय रवैये की तीव्र आलोचना करती है और उसे देश की समस्याओं के लिए दोषी ठहराती है। वह केवल घरेलू सरोकार तक सीमित रहने की बजाय, जनमत बनाने और संस्थागत बदलाव लाने का कार्य करती है।
(पुस्तक में पृष्ठ 86 पर 'पाठ के आस-पास' अनुभाग)
प्रश्न 3: पाठ के अंत में मीटिंग के स्थान का विवरण कोष्ठक में दिया गया है। यदि इसी दृश्य को फ़िल्माया जाए तो आप कौन-कौन से निर्देश देंगे?
उत्तर-
मीटिंग के दृश्य को फ़िल्माने के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए जाएँगे:
क. दृश्य का माहौल (वायुमंडल): हॉल के बाहर कपड़े का बैनर स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए। अंदर जाते लोगों के चेहरे पर उत्साह, जोश और विद्रोह का माहौल स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए। हॉल में बड़ी संख्या में लोग हों।
ख. कैमरा फ़ोकस और प्रेस: दृश्य में एक ओर बैठे 'प्रेस' (अख़बार वालों) पर कैमरा विशेष रूप से फ़ोकस किया जाना चाहिए, जो यह दर्शाता है कि यह एक महत्वपूर्ण जन आंदोलन है।
ग. भाषण और रवि पर कट: जब रजनी माइक पर आती है, तो कैमरा उस पर केंद्रित रहे। जब रजनी, घर के कामों में मदद न करने वाले पिताओं पर व्यंग्य करती है ("और पिता... जैसे वे घर के और किसी काम में ज़रा-सी भी मदद नहीं करते..."), तो कैमरा तुरंत पहली पंक्ति में बैठे उसके पति रवि पर जाना चाहिए ताकि दर्शक रवि की प्रतिक्रिया देख सकें।
घ. समापन ध्वनि: प्रस्ताव को स्वीकार करते समय, दृश्य तालियों की गड़गड़ाहट और 'अप्रूव्ड' 'अप्रूव्ड' की आवाज़ों से गूँज उठेगा। अंत में, जब रजनी और रवि हँसते हैं, तो उनकी हँसी के साथ ही दृश्य को धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा।
(पुस्तक में पृष्ठ 83, 84 पर विवरण)
प्रश्न 4: इस पटकथा में दृश्य-संख्या का उल्लेख नहीं है। मगर गिनती करें तो सात दृश्य हैं। आप किस आधार पर इन दृश्यों को अलग करेंगे?
उत्तर-
पटकथा में दृश्यों को मुख्य रूप से स्थान (लोकेशन) और समय के बदलाव के आधार पर अलग किया जाता है। पुस्तक में निम्नलिखित सात दृश्यों को इसी आधार पर अलग किया जा सकता है:
क. पहला दृश्य: लीला बहन का फ़्लैट (शाम)। घटना: अमित का रिजल्ट आना और ट्यूशन रैकेट का खुलासा।
ख. दूसरा दृश्य: स्कूल के हेडमास्टर का कमरा (अगला दिन)। घटना: रजनी द्वारा हेडमास्टर से कॉपियाँ दिखाने की मांग और उसकी निराशा।
ग. तीसरा दृश्य: रजनी का फ़्लैट (शाम)। घटना: रजनी और पति रवि के बीच बहस, रजनी द्वारा चुप रहने वालों को सबसे बड़ा गुनहगार बताना।
घ. चौथा दृश्य: डायरेक्टर ऑफ़ एजुकेशन का ऑफ़िस। घटना: रजनी द्वारा निदेशक से शिकायत और उनकी निष्क्रियता।
ङ. पाँचवाँ दृश्य: अख़बार का दफ़्तर। घटना: रजनी द्वारा संपादक से मिलकर आंदोलन के लिए समर्थन मांगना और मीटिंग की सूचना प्रकाशित करवाना।
च. छठा दृश्य: पेरेंट्स की मीटिंग का स्थान। घटना: आंदोलन और प्रस्ताव की रूपरेखा।
छ. सातवाँ दृश्य: रजनी का फ़्लैट (सवेरे)। घटना: बोर्ड द्वारा प्रस्ताव स्वीकार किए जाने की ख़बर आना और आंदोलन की सफलता।
(पुस्तक में पृष्ठ 87 पर 'पाठ के आस-पास' अनुभाग)
प्रश्न 1: निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंश में जो अर्थ निहित हैं उन्हें स्पष्ट करते हुए लिखिए:
क. वरना तुम तो मुझे काट ही देतीं।
उत्तर-
'काट ही देतीं' का अर्थ है टाल देना या अनदेखा कर देना। यहाँ रजनी का आशय यह है कि यदि वह बाज़ार जाने का बहाना करके नहीं आती तो लीला अपनी व्यस्तता के कारण उसे टाल देती।
ख. अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लेता, हमलोग खा थोड़े ही सकते हैं।
उत्तर-
'भोग नहीं लगा लेता' का अर्थ है अर्पित करना या आदरपूर्वक भेंट देना। लीला का मतलब है कि अमित रजनी को इतना चाहता है कि कोई भी चीज़ खाने से पहले वह रजनी को अर्पित करके ही खाता है (रजनी उसके लिए 'हीरो' है)।
ग. बस-बस, मैं समझ गया।
उत्तर-
इस वाक्य में 'बस-बस' कहने का अर्थ है दूसरे व्यक्ति को बोलते हुए रोकना और यह विश्वास दिलाना कि उसकी बात का सार या उसकी पीड़ा को पूरी तरह से समझ लिया गया है।
(पुस्तक में पृष्ठ 87 पर 'भाषा की बात' अनुभाग)
प्रश्न 2: कोड मिक्सिंग और कोड स्विचिंग के तीन-तीन उदहारण चुनिए और हिंदी भाषा में रूपान्तरण करके लिखिए।
उत्तर-
क. कोड मिक्सिंग (Code Mixing)
(जब एक ही वाक्य में दो भाषाओं के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है)
| मूल वाक्य (पुस्तक से) | कोड मिक्सिंग अंश | हिंदी रूपान्तरण | पृष्ठ संख्या |
|---|---|---|---|
| मैं मैथ्स की कॉपी देखना चाहती हूँ | मैथ्स, कॉपी | मैं गणित की उत्तर पुस्तिका देखना चाहती हूँ | 74 |
| भई, यह टीचर्स और स्टूडेंट्स का अपना आपसी मामला है | टीचर्स, स्टूडेंट्स | यह शिक्षकों और छात्रों का अपना आपसी मामला है | 76 |
| कितने इम्पोर्टेन्ट मैटर्स रहते हैं हम लोगों के पास | इम्पोर्टेन्ट मैटर्स | कितने महत्वपूर्ण विषय रहते हैं हम लोगों के पास | 81 |
ख. कोड स्विचिंग (Code Switching)
(जब एक भाषा में बोलते-बोलते वक्ता पूरी तरह दूसरी भाषा का इस्तेमाल करने लगता है)
| मूल वाक्य (पुस्तक से) | कोड स्विचिंग अंश (पूरी तरह दूसरी भाषा) | हिंदी रूपान्तरण | पृष्ठ संख्या |
|---|---|---|---|
| वॉट डू यू मीन? | वॉट डू यू मीन? | आपका क्या मतलब है? | 75 |
| आई मीन वॉट आई से। | आई मीन वॉट आई से। | मेरा मतलब वही है जो मैं कहती हूँ। | 75 |
| कोई रिसर्च प्रोजेक्ट है क्या? वेरी इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट। | वेरी इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट। | बहुत ही रोचक विषय है। | 80 |
(पुस्तक में पृष्ठ 87 पर 'भाषा की बात' अनुभाग)