भारत माता
- जवाहरलाल नेहरू | हिंदुस्तान की कहानी (अध्याय 5)
पाठ का सारांश
यह अध्याय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा रचित पुस्तक 'हिंदुस्तान की कहानी' का पाँचवाँ अध्याय है, जिसका हिंदी रूपांतरण हरिभाऊ उपाध्याय ने किया है। यह लेख भारत की राष्ट्रीय एकता और 'भारत माता' शब्द की व्यापक संकल्पना को स्पष्ट करता है, जो केवल भूमि तक सीमित न होकर भारत के करोड़ों लोगों से जुड़ी हुई है।
अध्याय का विस्तृत सारांश:
(क) चर्चा का विषय और दर्शक:
जवाहरलाल नेहरू अपने राजनीतिक दौरों के दौरान, जब एक जलसे से दूसरे जलसे में जाते थे, तब वे आम लोगों के बीच भारत या हिंदुस्तान की चर्चा करते थे। नेहरू जी यह चर्चा शहरों में कम करते थे, क्योंकि वहाँ के लोग ज़्यादा 'सयाने' (समझदार) थे। लेकिन किसानों से, जिनका नज़रिया महदूद (सीमित) था, वे इस बड़े देश और इसकी आज़ादी के लिए किए जा रहे प्रयासों की बात करते थे। नेहरू जी किसानों को बताते थे कि देश अनेक हिस्सों में बँटा होने के बावजूद हिंदुस्तान एक है। वे उत्तर से लेकर दक्खिन तक और पूरब से लेकर पच्छिम तक के उन मसलों का ज़िक्र करते थे जो किसानों के लिए यक-साँ (एक समान) थे। वे स्वराज (आज़ादी) का ज़िक्र करते थे, जो थोड़े लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी के फ़ायदे के लिए हो सकता था।
(ख) किसानों की समस्याएँ और विश्व का ज्ञान:
नेहरू जी ख़ैबर के दर्रे से लेकर धुर दक्खिन में कन्याकुमारी तक की अपनी यात्रा का हवाला देते थे। उन्होंने पाया था कि सभी जगह किसानों की तकलीफ़ें एक-सी थीं। ये समस्याएँ थीं: ग़रीबी, क़र्ज़दार होना, पूँजीपतियों के शिकंजे, ज़मींदार, महाजन, कड़े लगान और सूद (ब्याज) तथा पुलिस के ज़ुल्म। ये सभी बातें उस ढाँचे के साथ गूँथी हुई थीं जिसे एक विदेशी सरकार ने उन पर लाद रखा था, और इन सबसे छुटकारा पाना सभी को हासिल करना था। किसानों को दुनिया के बारे में समझाना उतना मुश्किल नहीं था, जितना नेहरू जी ने सोचा था। इसका कारण था कि उनके पुराने महाकाव्यों और पुराणों की कथा-कहानियों ने उन्हें देश की कल्पना करा दी थी, बहुत से लोग हिंदुस्तान के चारों कोनों पर स्थित तीर्थों की यात्रा कर चुके थे, और सन् तीस के बाद आई आर्थिक मंदी के कारण दूसरे मुल्कों के बारे में नेहरू जी के हवाले (संदर्भ) उनकी समझ में आ जाते थे।
(ग) 'भारत माता' की संकल्पना:
जब भी नेहरू जी किसी जलसे में पहुँचते, तो उनका स्वागत "भारत माता की जय!" नारे से होता था। नेहरू जी अचानक किसानों से पूछते थे कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारत माता कौन है, जिसकी वे जय चाहते हैं? इस सवाल से किसान अचंभित हो जाते और कोई जवाब न बन पड़ने पर एक-दूसरे की तरफ़ देखते। अंत में, एक जाट किसान जवाब देता था कि भारत माता से उसका मतलब धरती से है, लेकिन सवाल-जवाब के क्रम में यह बात सामने आती थी कि उनका मतलब ख़ासकर उनके गाँव या ज़िले की धरती से होता है। नेहरू जी तब उन्हें अपनी विस्तृत अवधारणा समझाते थे: हिंदुस्तान वह सब कुछ है जिसे किसानों ने समझ रखा है (नदी, पहाड़, जंगल, खेत) लेकिन वह इससे भी बहुत ज़्यादा है। आख़िरकार जिनकी गिनती है, वे हैं हिंदुस्तान के लोग—जो इस सारे देश में फैले हुए करोड़ों लोग हैं। भारत माता दरअस्ल यही करोड़ों लोग हैं। इसलिए, "भारत माता की जय!" का मतलब हुआ इन करोड़ों लोगों की जय। नेहरू जी उनसे कहते थे कि वे ख़ुद इस भारत माता के अंश हैं, एक तरह से 'तुम ही भारत माता हो'। जैसे-जैसे यह विचार किसानों के मन में बैठता, उनकी आँखों में चमक आ जाती, जैसे उन्होंने कोई बड़ी खोज कर ली हो।
(घ) नेहरू जी का राष्ट्र निर्माण का दृष्टिकोण:
नेहरू जी ने भारत के निर्माण में अंत तक जुटे रहने का संकल्प लिया। उन्होंने देश के विकास के लिए आर्थिक और औद्योगिक प्रगति, वैज्ञानिक अनुसंधान, साहित्य, कला और संस्कृति जैसे क्षेत्रों को शामिल करते हुए कई योजनाएँ बनाईं। नेहरू जी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वशांति और पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार किया। नेहरू जी मानते थे कि सच्ची संस्कृति को दुनिया के हर कोने से प्रेरणा मिलती है, लेकिन उसकी जड़ें अपनी ही धरती पर पैदा होती हैं और जन-मन में समाई रहती हैं।
पाठ के प्रमुख विचार:
- जवाहरलाल नेहरू: लेखक एवं वक्ता, जो किसानों को राष्ट्रीय चेतना से जोड़ते हैं
- किसान: नेहरू जी के मुख्य श्रोता, जिनका दृष्टिकोण स्थानीय स्तर तक सीमित था
- भारत माता: एक व्यापक अवधारणा जो भारत के करोड़ों लोगों को दर्शाती है
पाठ के प्रमुख संदेश:
- भारत माता की अवधारणा केवल भूमि तक सीमित नहीं है
- राष्ट्र निर्माण में सभी नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका
- राष्ट्रीय एकता और अखंडता का महत्व
- स्वराज का उद्देश्य सभी के कल्याण से जुड़ा हुआ है
- सांस्कृतिक विविधता के बीच एकता
- जनता ही वास्तव में राष्ट्र है
विशेषताएँ:
- विधा: भाषण/निबंध शैली
- भाषा-शैली: सरल, प्रवाहमयी, विचारोत्तेजक
- मुख्य विषय: राष्ट्रीय एकता और भारत माता की अवधारणा
- शैली: वर्णनात्मक और विश्लेषणात्मक
- उद्देश्य: राष्ट्रीय चेतना का विकास
पाठ के साथ
प्रश्न 1: भारत की चर्चा नेहरू जी कब और किससे करते थे?
उत्तर-
जवाहरलाल नेहरू अक्सर जब एक जलसे से दूसरे जलसे में जाते और इस तरह चक्कर काटते रहते थे, तब वे अपने सुनने वालों से अपने हिंदुस्तान या भारत की चर्चा करते थे। नेहरू जी शहरों में ऐसी चर्चा बहुत कम करते थे, क्योंकि वहाँ के सुनने वाले कुछ ज़्यादा सयाने थे और उन्हें दूसरे ही किस्म की ग़िज़ा की ज़रूरत थी। लेकिन किसानों से, जिनका नज़रिया महदूद था, नेहरू जी इस बड़े देश की चर्चा करते थे, जिसकी आज़ादी के लिए वे कोशिश कर रहे थे।
प्रश्न 2: नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे?
उत्तर-
नेहरू जी जब भी किसी जलसे में पहुँचते, तो उनका स्वागत "भारत माता की जय!" इस नारे से ज़ोर के साथ किया जाता था। नेहरू जी किसानों से अचानक पूछ बैठते थे कि इस नारे से उनका क्या मतलब है?। यह भारत माता कौन है, जिसकी वे जय चाहते हैं?।
प्रश्न 3: दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था?
उत्तर-
दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए उतना मुश्किल काम नहीं था जितना उन्होंने समझ रखा था। इसकी वजह यह थी कि:
क. पुराने ज्ञान का आधार: हमारे पुराने महाकाव्यों ने और पुराणों की कथा-कहानियों ने, जिन्हें किसान ख़ूब जानते थे, उन्हें इस देश की कल्पना करा दी थी।
ख. तीर्थों की यात्रा: हमेशा कुछ लोग ऐसे मिल जाते थे जिन्होंने हिंदुस्तान के चारों कोनों पर स्थित बड़े-बड़े तीर्थों की यात्रा कर रखी थी।
ग. विदेशों में नौकरी: नेहरू जी को पुराने सिपाही भी मिल जाते थे, जिन्होंने पिछली बड़ी जंग में या और धावों के सिलसिले में विदेशों में नौकरियाँ की थीं।
घ. आर्थिक मंदी का प्रभाव: सन् तीस के बाद जो आर्थिक मंदी पैदा हुई थी, उसकी वजह से दूसरे मुल्कों के बारे में नेहरू जी के हवाले (संदर्भ) उनकी समझ में आ जाते थे।
प्रश्न 4: किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे?
उत्तर-
जब नेहरू जी किसानों से पूछते थे कि भारत माता कौन है, तो वे कुछ जवाब न बन पड़ने पर एक-दूसरे की तरफ़ या उनकी तरफ़ देखने लग जाते थे। आख़िरकार, एक हट्टे-कट्टे जाट ने, जो अनगिनत पीढ़ियों से किसानी करता आया था, जवाब दिया कि भारत माता से उनका मतलब धरती से है। सवाल-जवाब के क्रम में यह स्पष्ट होता था कि वे भारत माता से मतलब ख़ासकर उनके गाँव की धरती या ज़िले की या सूबे की धरती से लेते थे।
प्रश्न 5: भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी?
उत्तर-
भारत माता के प्रति नेहरू जी की अवधारणा सीमित और भौगोलिक न होकर मानवीय और व्यापक थी।
क. नेहरू जी ने बताया कि हिंदुस्तान वह सब कुछ है जिसे किसानों ने समझ रखा है (नदी, पहाड़, जंगल, और खेत), लेकिन वह इससे भी बहुत ज़्यादा है।
ख. नेहरू जी का निष्कर्ष था कि आख़िरकार जिनकी गिनती है, वे हैं हिंदुस्तान के लोग— उनके और मेरे जैसे लोग, जो इस सारे देश में फैले हुए हैं।
ग. नेहरू जी के अनुसार, भारत माता दरअस्ल यही करोड़ों लोग हैं। इसलिए, "भारत माता की जय!" से मतलब हुआ इन करोड़ों लोगों की जय का।
घ. वह किसानों से कहते थे कि तुम इस भारत माता के अंश हो, एक तरह से तुम ही भारत माता हो।
प्रश्न 6: आज़ादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था?
उत्तर-
नेहरू जी ने उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक की अपनी यात्रा के दौरान पाया था कि किसानों की तकलीफ़ें एक-सी थीं। आज़ादी से पूर्व किसानों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था:
क. ग़रीबी, कर्ज़दार होना।
ख. पूँजीपतियों के शिकंजे में फँसे होना।
ग. ज़मींदारों और महाजनों का शोषण।
घ. कड़े लगान और सूद (ब्याज) का भार।
ङ. पुलिस के ज़ुल्म।
ये सभी बातें उस ढाँचे के साथ गूँथी हुई थीं, जिसे एक विदेशी सरकार ने उन पर लाद रखा था, और इन सबसे छुटकारा सभी को हासिल करना था।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1: आज़ादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू जी के क्या सपने थे? क्या आज़ादी के बाद वे साकार हुए? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
क. आज़ादी से पहले नेहरू जी के सपने
नेहरू जी का सपना था कि आज़ाद हिंदुस्तान एक राष्ट्र के रूप में संगठित हो, जहाँ अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक रहे। वह किसानों को स्वराज का मतलब समझाते थे, जो थोड़े लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी के फ़ायदे के लिए हो सकता था। उनका झुकाव समाजवाद की ओर भी रहा। नेहरू जी चाहते थे कि सभी लोग उस विदेशी सरकार के जुल्मों से छुटकारा पाएँ जिसने उन्हें ग़रीबी, कर्ज़ और महाजनों के शिकंजे में फँसा रखा था।
ख. आज़ादी के बाद सपनों का साकार होना
स्रोत बताते हैं कि 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो नेहरू जी पहले प्रधानमंत्री बने और भारत के निर्माण में अंत तक जुटे रहे। उन्होंने देश के विकास के लिए कई योजनाएँ बनाईं, जिनमें आर्थिक और औद्योगिक प्रगति तथा वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर साहित्य, कला, संस्कृति आदि क्षेत्र शामिल थे। नेहरू जी ने देश की एकता के आधारों को मजबूत करने का प्रयास किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वशांति तथा पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार किया। इस प्रकार, देश की बुनिवादी एकता, आर्थिक-औद्योगिक प्रगति और विश्व शांति के लिए उनके सपने साकार होने की दिशा में कार्य हुआ, हालाँकि यह चर्चा का विषय है कि क्या वे पूरी तरह साकार हुए।
प्रश्न 2: भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं?
उत्तर-
(यह प्रश्न विद्यार्थी के दृष्टिकोण पर आधारित है, लेकिन स्रोत के आधार पर, यह चर्चा की जा सकती है कि भारत के विकास के लिए नेहरू जी के सपनों की विरासत को आगे कैसे बढ़ाया जाए। स्रोतों में इस पर कोई सीधा जवाब नहीं है।)।
प्रश्न 3: आपकी दृष्टि में भारत माता और हिंदुस्तान की क्या संकल्पना है? बताइए।
उत्तर-
(यह प्रश्न व्यक्तिगत राय पर आधारित है, लेकिन स्रोतों के आधार पर नेहरू जी की संकल्पना को आधार बनाया जा सकता है।)
नेहरू जी की संकल्पना के अनुसार:
क. भारत माता: भारत माता कोई केवल भौगोलिक इकाई (सिर्फ धरती, पहाड़ या खेत) नहीं है, बल्कि यहाँ के करोड़ों लोग (जन-जन) हैं। यदि इन लोगों की नियति एक ही तरीके से बनती-बिगड़ती है, तो भारत माता की जय का मतलब इन्हीं करोड़ों लोगों की जय है।
ख. हिंदुस्तान: हिंदुस्तान वह सब कुछ है जिसे लोगों ने समझ रखा है (नदी, जंगल, खेत), लेकिन यह इससे भी बहुत ज़्यादा है, जो देश के कोने-कोने में एकता के आधारों से जुड़ा हुआ है। हिंदुस्तान को दुनिया के हर कोने से प्रेरणा मिलती है, लेकिन उसकी जड़ें अपनी ही धरती पर पैदा होती हैं और जन-मन में समाई रहती हैं।
प्रश्न 4: वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? चर्चा कर लिखिए।
उत्तर-
(यह प्रश्न वर्तमान स्थिति पर चर्चा पर आधारित है, जिसका सीधा उत्तर स्रोत में नहीं है, क्योंकि स्रोत आज़ादी से पूर्व के भारत का वर्णन करता है।)
आज़ादी से पहले किसान ग़रीबी, कर्ज़, महाजनों के शोषण, कड़े लगान और सूद तथा पुलिस के ज़ुल्मों से पीड़ित थे, जो कि विदेशी सरकार द्वारा लादे गए ढाँचे का हिस्सा था। वर्तमान समय में, हालांकि विदेशी सरकार का ढाँचा ख़त्म हो चुका है और देश में आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं, फिर भी किसानों की स्थिति पर चर्चा आवश्यक है कि उन्हें पुराने शिकंजों से कितनी मुक्ति मिली है।
प्रश्न 5: आज़ादी से पूर्व अनेक नारे प्रचलित थे। किन्हीं दस नारों का संकलन करें और संदर्भ भी लिखें।
उत्तर-
(स्रोतों में केवल "भारत माता की जय!" नारे का उल्लेख है। अन्य नारों का संकलन स्रोत के बाहर का विषय है।)
भाषा की बात
प्रश्न 1: नीचे दिए गए वाक्यों का पाठ के संदर्भ में अर्थ लिखिए:
क. दक्खिन: पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ दक्षिण दिशा है। नेहरू जी उत्तर-पश्चिम में ख़ैबर के दर्रे से लेकर धुर दक्खिन में कन्याकुमारी तक की यात्रा का हाल बताते थे।
ख. पच्छिम: पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ पश्चिम दिशा है। नेहरू जी पूरब से लेकर पच्छिम तक किसानों के लिए एक-से मसलों का ज़िक्र करते थे।
ग. यक-साँ: पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ एक समान या एक जैसे है। नेहरू जी बताते थे कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक किसानों के मसले यक-साँ (एक समान) थे।
घ. एक जुज़: पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ एक खंड या एक भाग है। नेहरू जी किसानों को बताते थे कि वे उस बड़ी दुनिया के एक जुज़ (भाग) हैं।
ङ. ढाँचे: पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ प्रणाली या शासन व्यवस्था है। किसानों की सभी समस्याएँ उस ढाँचे के साथ गूँथी हुई थीं, जिसे एक विदेशी सरकार ने उन पर लाद रखा था।
प्रश्न 2: नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए—
| संज्ञा शब्द | विशेषण रूप |
|---|---|
| आज़ादी (आजादी) | आज़ाद (या स्वतंत्र) |
| चमक (चमक) | चमकीला |
| हिंदुस्तान (हिंदुस्तान) | हिंदुस्तानी |
| विदेश (विदेश) | विदेशी |
| सरकार (सरकार) | सरकारी |
| यात्रा (यात्रा) | यात्री (या यायावर) |
| पुराण (पुराण) | पौराणिक |
| भारत (भारत) | भारतीय |
(पुस्तक में पृष्ठ 105 पर अभ्यास)